Tibet: तिब्बती पठारों के ऊपर प्लेन नही उड़ाया जाता हैं। बता दें की तिब्बती पठारों के ऊपर से हवाई जहाज नहीं उड़ाने के पीछे कई बड़े कारण हैं।
Tibet: ऊंचाई: बता दें तिब्बती पठार दुनिया का सबसे ऊंचा और बड़ा पठार है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से औसतन 5 किलोमीटर है। इतनी ऊंचाई पर हवा भी पतली होती है जिससे प्लेन के इंजन को पर्याप्त ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाता और प्लेन की उड़ान क्षमता कम हो जाती है।
Tibet: ठंडा मौसम: बता दें तिब्बती पठार पर तापमान बहुत ही कम रहता है। तिब्बती पठार पर ठंड के कारण प्लेन के इंजन और अन्य भागों पर भी ज्यादा भारी असर पड़ सकता है जिससे उड़ान भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है।
Tibet: तूफानी मौसम: बता दें तिब्बती पठार पर अक्सर ज्यादा भारी तूफान भी हमेशा आते रहते हैं। साथ ही तिब्बती पठार पर तेज हवाओं और बर्फबारी के कारण भी प्लेन को बहुत उड़ाना मुश्किल हो जाता है।
Tibet: इमरजेंसी लैंडिंग: बता दें तिब्बती पठार पर इमरजेंसी लैंडिंग के लिए उपयुक्त जगहें भी बहुत ही कम हैं। इस वजह से अगर किसी भी आपात स्थिति में प्लेन को कही भी उतारना पड़े तो यह बहुत ही मुश्किल हो सकता है।
Tibet: राजनीतिक कारण: बता दें तिब्बती पठार चीन के नियंत्रण में है और वहां की चीन की सरकार कुछ क्षेत्रों में उड़ान पर प्रतिबंध लगा सकती है।
Tibet: इन सभी बड़े कारणों के चलते पायलट तिब्बती पठार के ऊपर उड़ान भरने से बचते हैं। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में और आधुनिक तकनीक के साथ कुछ प्लेन इस क्षेत्र में उड़ान भर सकते हैं।
Tibet: तिब्बती पठार:
Tibet: बता दें तिब्बती पठार को हवाई जहाज का “ब्लैक होल” भी कहा जाता है क्योंकि तिब्बती पठार पर बहुत कम प्लेन उड़ते हैं।
Tibet: साथ ही तिब्बती पठार के ऊपर उड़ान भरने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए प्लेन होते हैं।
Tibet: तिब्बती पठार के ऊपर उड़ान भरना कई कारणों से बेहद ही खतरनाक और मुश्किल है। इसलिए, अधिकांश पायलट इस क्षेत्र से तिब्बती पठार के क्षेत्र में हवाई जहाज उड़ाने से बचते की कोशिस करते है।
Tibet: बता दें इन्ही सभी कारणों और वजहों को ध्यान में रखते हुए तिब्बती पठार के ऊपर हवाई जहाज उड़ाने से बचने की कोशिस करते हैं।